लॉक डाउन का दूसरा अनुभव ईश्वर की महिमा मान ली, उसके आगे किसी की नहीं चलती,सच बात है गीता में सही कहा है तुम क्या लेकर आये क्या लेकर साथ लेकर जाना है, इस महामारी काल ने बता दिया ज्यादा की इच्छा ना करो जितना है उतने में धैर्य करना सीखें, हम स्वार्थी व्यक्ति पैसों के पीछे ऐसे भाग रहे जैसे पैसा ही सब कुछ,अब इस समय ने यह बता दिया कि पैसे के साथ रिश्ते बहुत जरूरी है, सेविंग करके भी कम खर्च में भी अपना जीवन चला सकते हैं.
माँ बचपन में सिखाती थी पहली रोटी गाय की और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए बनाया करते थे, इस लॉक डाउन अन्न की कद्र करना फिर से सीख गए, सड़क पर बेजुबान पशु गाय, कुत्ते, बन्दर, पक्षियों के लिए छत पर पानी और दाना रखना सीख गए,हम प्रतिदिन हजारों संख्या में मजदूरों को घर के लिए पलायन करते हुए अक्सर देखते है, तो उनकी खाना, पानी, फल और मेडिसिन आदि से निःस्वार्थ भाव से सेवा भी करना सिखलाया।
हमारे आँगन और टेरिस गार्डन में अक्सर पेड़ पौधें होते बिना देख रेख के अक्सर सूख जाया करते थे, इन दिनों में अपनी बगिया में पानी, घरेलू किचन की खाद से अनेकों फूल रंग बिरंगे से बगिया को खुशबू से महकते देखा है, मेरे घर में भाई के बेटे ने पानी का संरक्षण, और बिजली को बचाना सीख लिया।
सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छता से अपनी और परिवार में कैसे रहते हैं, दिन में 7-8 बार साबुन से हाथ धोना, कोई भी सामग्री अगर घर में आती है एक ही व्यक्ति घर से एक ही समय में जाएंगे और सबसे पहले सैनिटाइज करते हैं तब दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं,इस कोरोना के समय में घर में सुरक्षित रहना कितना जरूरी है हम सभी सीख रहे हैं।
पैसों की बचत क्या होती है इस कोरोना समय में सीख लिया, जितनी की जरूरत है उतने ही खर्च करो,अगर आपका सामर्थ्य कि किसी जरूरतमंद की सहायता कर सकते हैं तो अवश्य आगे आकर पहल करें, जो हमारी और सेवा में दिन रात लगे हुए हैं कैसे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, प्रशासन, सफाई कर्मचारी और दैनिक जीवन की आपूर्ति की सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं उनके स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना अवश्य करें तो।
इस लॉक डाउन का अनुभव तो जीवन में हमें बहुत मिला है,इस समय में हम अपने घर पर सुरक्षित रहकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है, इसका एकमात्र उपाय जनसम्पर्क में नहीं आए और सभी को जागरूक करें ।
भावना गौड़,ग्रेटर नोएडा(उत्तर प्रदेश)
इस विशेष कॉलम पर और विचार पढ़ने के लिए देखे- लॉकडाउन से सीख
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