*रामगोपाल राही
गंगा तट पर हरिद्वार में ,
श्रद्धालुओं का मेला वहाँ|
जेष्ट शुक्ल दशमी - दशहरा ,
आस्था का मेला वहाँ ||
गंगा दशहरा पर्व अनोखा ,
पाप मुक्त कर देता है |
दस पापों से मुक्ति होती ,
तन मन निर्मल करता है || |
गंगा में स्नान सभी को ,
सचमुच खुशियाँ देता सच |
तन मन शुद्धि हो स्वच्छता ,
नव ऊर्जा भर देता सच ||
उस दिन पूजा विधान सच ,
वहाँ गजब का होता है |
पूजा की हर वस्तु दस दस,
वहाँ पे रखना होता है ||
सभी वस्तुएँ दान में जाती
सब संग लेकर आते हैं |
दस ब्राह्मण ले दक्षिणा ,
दाता दे - %सुख पाते हैं ||
कौन-कौन दस पाप से मुक्ति,
लोग समझ नहीं पाते |
पर हर्ष आते -गंगा नहाए ,
लौट घरों को हैंआते ||
गंगा अवतरण "तिथि उसी पर ,
गंगा दशहरा है आता |
हरिद्वार में गंगा तट पर ,
मेला भारी लग जाता ||
गंगा का जय घोष गूँजता
गंगा जी के तट वहाँ |
लाखों लोग लगाते डुबकी ,
पाप मुक्त हो जाते वहाँ ||
साधु व सन्यासी ,गृहस्थी ,
पुण्य कमाने आते हैं |
योगी भोगी, रोगी सब ही ,
गंगा नहा हर्षाते हैं ||
पाप मुक्त हो जाते पापी,
कहें मोक्ष व मुक्ति हो |
आत्ममुग्ध हो हर्षात सब ,
ध्यान ज्ञान अनुरक्ति हो ||
दान दक्षिणा ,ध्यान अर्चना ,
होती गंगा मैया की |
पूजा के संग दीपक जलते ,
शोभा अनुपम मैया की ||
हर की पेड़ी बात न पूछो ,
भीड़ गजब व शोर वहाँ |
गंगा नहा कर सब श्रद्धालु ,
होते भाव विभोर वहाँ ||
गंगा दशहरा पर्व यहां ,
लोग अनेकों आते हैं |
मिनी भारत देख के हर्षे, ,
सुख आत्मिक पाते हैं ||
गंगा नहाना व हर्षाना ,
गंगा दर्शन पाकर के |
गंगा आरती भव्य नजारा ,
लौटें पुण्य कराकर के |||
आत्मीयता गंगा माँ संग ,
सांँस सांँस में घुलती है |
हर दिल में हो गंगा मैया ,
पावन प्रीत उड़ती है ||
आत्ममुग्धता और आनंद का ,
सुखद नजारा होता है |
लहर लहर दीपक पंक्ति में
दूर किनारा होता है ||
*रामगोपालराही,लाखेरी
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