Subscribe Us

एक   धब्बा   है  बदनुमा    जाने



*हमीद कानपुरी


एक   धब्बा   है  बदनुमा    जाने।

एक  रत्ती   न  जो   वफा   जाने।

 

उसका अगला क्दम नहीं मालूम,

ये वो  जाने   है या  ख़ुदा   जाने।

 

जल्द  फँसता  नहीं  है लालच में,

ठीक  से  जो   बुरा भला   जाने।

 

अज्म लेकर  चला हूं मंज़िल का,

कैसे   होगा   ये   हौसला   जाने।

 

कल की बातें नहीं पता  कुछ भी,

बेवफा    आज    बेवफा    जाने।

 

उसको  रोटी  कहीं  से लाकर दो,

आज  रोटी   को वो  दवा   जाने।

 

यूँ  तो  है  आसमान पर   बादल,

हाल बारिश  का बस हवा  जाने।

 

उसकोमतलब नहीं किसी सेकुछ,

बस  दुआ  चाहता   दुआ   जाने।

 

नाम   जिसका   हमीद   कोरोना,

मौत का  सिर्फ  फलसफा   जाने।

 

हमीद कानपुरी ,कानपुर

 


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.comयूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ