*आयुष गुप्ता
दिलबर न मुझको और अब तू याद कर,
दिल को मिरे तू कैद से आजाद कर।
तू रुक सके तो लौट कर आ जा सनम,
ना रुक सके तो वक़्त ना बर्बाद कर।
ना हो सकेगा शख़्स वो तेरा कभी,
भूला सके तू बस यही फरियाद कर।
होगी उदासी चेहरे पे कब तलक,
भुलकर उसे तू ज़िन्दगी दिलशाद कर।
बस ज़िन्दगी में एक वहीं पहलू न था,
तू मंज़िलों से ज़िन्दगी आबाद कर।
*आयुष गुप्ता ,उज्जैन
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