*रामगोपाल राही
छोड़ रहा न साथ कोरोना ,
मुश्किल है हर बात कोरोना |
लॉकडाउन ने सब कुछ छीना ,
बिगड़ रहे हालात कोरोना ||
मिलती नहीं उधार कोरोना ,
अब तो जाओ पधार कोरोना |
हम मजदूर सुने ना कोई ,
कोई भी सरकार कोरोना ||
लॉकडाउन का द्वंद कोरोना ,
रुपए पास ना चंद कोरोना |
रोजगार ठप्प गई मजूरी ,
रोजी रोटी बंद कोरोना ||
लॉकडाउन की मार कोरोना ,
कब से हैं बेकार कोरोना |
अपने घर से दूर राह में ,
भूखे हैं बेजार कोरोना ||
सबके हृदय मलाल कोरोना ,
जन-जन है बेहाल कोरोना |
हम प्रवासी -घर को निकले
विषम मौत का जाल कोरोना ||
अब खुले बाजार कोरोना ,
हलचल की भरमार कोरोना |
भूल के सब कुछ व्यस्त हो गए ,
जिनके थे व्यापार कोरोना ||
बदले शादी ढंग कोरोना ,
पांच आदमी संग कोरोना |
पंण्डित ने फेरे करवाऐ ,
हुई दुल्हनियाँ संग कोरोना ||
अब रक्षक भगवान -कोरोना ,
मालिक बक्क्षे जान -कोरोना |
दूरी रखना बहुत जरूरी ,
दवा यही विधान कोरोना ||
अस्पताल निदान कोरोना ,
मुश्किल में इंसान कोरोना |
बहुत समय तक अस्पताल में ,
अटके भटके प्राण कोरोना ||
क्रूर ले रहा प्राण कोरोना ,
लोग सभी हैरान कोरोना |
जब से आया देश में मेरे ,
निर्दयी बेईमान कोरोना ||
मरना ना आसान कोरोना ,
शव में विद्यमान कोरोना |
जले ठीक से ना दफनाए ,
डर में हर इंसान कोरोना |
*रामगोपाल राही लाखेरी
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