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चार  सू  महफ़िल  सजाते  जायेंगे



*हमीद कानपुरी

 

चार  सू  महफ़िल  सजाते  जायेंगे।

गीत   ग़ज़लें    गुनगुनाते   जायेंगे।

 

साथ सबको  अपने ले के  जायेंगे।

दर सभी का  खट खटाते  जायेंगे।

 

आज प्रैक्टिस खूब उनकी सबकरें,

दाँव  कल  जो  आज़माये  जायेंगे।

 

रौशनी की  है ज़रूरत   हर जगह,

अब दिये हर   सू  जलाये  जायेंगे।

 

इस करोना  काल में  इस  ईद  में,

क्या नये   कपड़े  खरीदे   जायेंगे।

 

कल चलेंगे लोग सब उनपर हमीद,

हम   नयी   राहें    बनाते   जायेंगे।

 

गीत ग़ज़लें लिख रहे जिनमें हमीद,

अब वो लन्दन तक रिसाले जायेंगे।

 

*हमीद कानपुरी


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