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भारत बनेगा विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुखिया



*कैलाश गर्ग

अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संगठनों एवं तमाम वैश्विक मंचों पर भारत की मजबूत पकड़ ने देश को गौरवान्वित करने का सुनहरा मौका और दिया हैं । भारत आज विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे प्रतिष्ठित संस्था का मुखिया बनने जा रहा हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन जिसकी स्थापना 7 अप्रेल 1948 को हुई थी । यह संयुक्त राष्ट्र का ही हिस्सा हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन पूरे विश्व में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों एवं उनके निराकरण के प्रयास में सभी देशों की मदद करता हैं । वर्तमान में इसके 194 सदस्य देश हैं । भारत के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को एग्जीक्यूटिव बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा रहा हैं । डॉ. हर्षवर्धन जापान के डॉ. हिरोकी नकतानी की जगह लेंगे । 34 सदस्यीय कार्यकारी एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक जो 22 मई को होगी, इसमें डॉ. हर्षवर्धन के नाम का चयन होगा । अध्यक्ष के रूप में इनका कार्यकाल 1 वर्ष का होगा ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की कमान भारत को देने का फैसला अचानक नही हुआ हैं , इसकी घोषणा पिछले साल ही कर दी गई थी कि आगामी अध्यक्ष का उम्मीदवार भारत का ही होगा । भारत को यह पद मिलना गौरव की बात हैं । मगर वर्तमान हालात में यह काँटों का ताज से कम नही हैं । कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं । अमेरिका जैसे देशों ने कोरोना फ़ैलाने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन को जिम्मेदार बताते हुए कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समय रहते दुनिया को इस खतरे के बारे में विस्तृत रूप से नही बताया तथा उसकी नीति भी चीन के प्रति झुकाव वाली रही । इससे पहले भी ट्रम्प कोरोना को चीनी वायरस बता चुके हैं ।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जा रही सहायता राशि रोककर अपनी नाराजगी साफ जाहिर की । इसके अलावा यूरोपीय संघ ने भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के खिलाफ जाँच का प्रस्ताव पेश कर दिया । अब नवनियुक्त अध्यक्ष के सामने विश्व स्वास्थ्य संगठन के ऊपर लग रहे पक्षपात के आरोपों से संगठन की साख बचानी होगी तथा जिस तरह से भारत ने कोरोना संक्रमण रोकने के लिये बेहतर उपाय किये, जिसकी सराहना स्वयं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की थी । ठीक उसी प्रकार तटस्थ रूप से प्रभावी कार्य करके दुनिया का दिल जीतना होगा । जनसंख्या के क्षेत्र में विश्व के दूसरे तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवें स्थान पर काबिज भारत में चिकित्सा सुविधाएं अन्य विकसित देशों यथा अमेरिका,इटली, स्पेन, जापान, जर्मनी, चीन, ब्रिटेन  की तुलना में बेहद कम होने के बावजूद कोरोना के संक्रमण का व्यापक प्रसार नही हो पाया, तथा वर्तमान में स्थिति काफी हद तक काबू में हैं ।

भारत में कोरोना पॉजिटिव का आँकड़ा 1 लाख 10 हजार को पार कर गया हैं वहीं पूरे विश्व में यह आँकड़ा 48 लाख 65 हजार के करीब हैं । दिनों दिन ज्यों-ज्यों नए केस सामने आ रहे है तथा अभी तक कोई कारगर दवा का निर्माण नही हुआ है, ये चीजें विश्व स्वास्थ्य संगठन की चिंताएं जरूर बढ़ाएगा । अब जरूरत है कि कोरोना के वैक्सीन या टीके के निर्माण में लगे तमाम चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों के साथ सामंजस्य स्थापित करके, समय-समय पर प्रभावी मॉनिटरिंग करके ,उन्हें प्रौत्साहन देकर जल्द से जल्द इस टीके ( वैक्सीन ) का निर्माण करके दुनिया को राहत दिलाएं । भारत अपने कार्यकाल के दौरान स्वर्णिम छाप छोड़े, जो आने वाले अध्यक्षों के लिये भी अनुकरणीय मिशाल बने ।

 

*कैलाश गर्ग रातड़ी,बाड़मेर

 

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