*संदीप राज़ आनंद
बड़े नासमझ हो जो चाहत नहीं है।
मोहब्बत नहीं फिर भी राहत नहीं है।
सलीक़ा नहीं बात करने का तुमको
ज़रा-सी भी तुम में शराफ़त नहीं है।
लगाने नहीं हाथ देते हो खुद को
भला मुझको इतनी इजाज़त नहीं है।
लगाओगे दिल फिर कहोगे भुला दूँ
मोहब्बत है प्यारे सियासत नहीं है।
कहो आज उससे सभी बात अपनी
वो लड़की है कोई क़यामत नहीं है।
लो आनंद भी अब लगाने लगा दिल
सही बात है ये, शरारत नहीं है।
*प्रयागराज उत्तरप्रदेश
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