*तनूजा कदरे
वो लम्हें याद आते है, कुछ बाते याद आती है
कभी सोना बहुत सुहाता था , पर अब नींद भी नहीं आती है।
क्यू इतने बदल गए कि तुम, मेरी याद तुम्हे ना आयी थीं।
सब कुछ तुम्हे तब अपना था, बस में ही एक पराई थी।
कभी सात फेरे लेकर के, तेरे साथ में चली आई थी।
कभी में ही तेरा साया था,और में ही तेरी परछाईं थी
तेरा साथ पाकर जीवन में , मेरे सुख की अंगड़ाई थी।
तेरे आंखो में बस प्यार था, और बातो में बस सच्चाई थी।
तुझे जीवन साथी चुन कर में समन्दर सी गहराई थीं।
क्यू पल में मीट गया सब कुछ, और रह गई ख़ाली आस।
क्यू रह गई सारी बातें,और टूट गया विश्वास।
*तनूजा कदरे, उज्जैन(म.प्र)
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