*नवीन माथुर पंचोली
पास जब तक दुआ नहीं आती।
रास कोई दवा नहीं आती।
कौनसा फूल है बग़ीचे में,
जिसको छूकर हवा नहीं आती
कुछ रही छेड़ छाड़ भी जिम्में,
वरना यूँ ही क़ज़ा नहीं आती।
है हिदायत ही दूर रहने की,
क्यूँ कहें की वफ़ा नहीं आती।
वक़्त भी शर्मसार है उनसे,
जिनको ख़ुद पर हया नहीं आती।
साथ मिलकर संभाल लो ऐसी,
मुश्किलें हर दफ़ा नहीं आती।
*नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार मप्र
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