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माँ के दामन में छांह



*मोहित सोनी


किसी की आह निकली,

किसी की चाह निकली ।

किसी के रास्ते सारे बन्द हुए,

किसी के लिए नई राह निकली ।

पूरी करते करते थक गया

ख्वाहिशें दिल में अथाह निकली ।

खुशी के उजले दिन कम निकले

गम की रातें ज्यादा स्याह निकली ।

मैं लिखता गया, दिल का दर्द,

और उनके दिल से वाह-वाह निकली ।

मत मनाओ उन्हें,

खामख्वाह जो रूठ गए,

रिश्तें-नातें जो झूठे थे

सारे पीछे छूट गए,

धूप से भरी इस दुनिया में, 

बस,

माँ के दामन में छांह निकली ।

 

*मोहित सोनी, कुक्षी

 


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