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माँ दुर्गा



*रेणु शर्मा
रूप अनेको धारण करती,,असुरों की संहारक मां।।
नव दुर्गा ममता की मूरत ,,भक्तों की प्रति पालक मां।।

जिसकी महिमा देव न जाने ,कैसे हम बतलायेंगे।
उस अगाध शक्ति को सब जन प्रतिपल शीश नवाएँगे।
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ाते मन्नत पूरी होती है।
मां तेरे आँचल की छाया जन्नत जैसी होती है।।
धरती और गगन से बढ़कर तेरा रूप अलौकिक मां।
नव दुर्गा ममता की मूरत ,,भक्तों की प्रति पालक मां।।

रूप अनेक आप के माता हम बच्चे अज्ञानी है।
इस दुनिया मे आग, फसल, फल तुमसे मिलता पानी है।
रोग मुक्त रोगी हो जाता,गोदी भी भर जाती है।
जिस पर कृपा आपकी हो ,जिंदगी सफल हो जाती है।
नेह लगा चरणों से तेरे दर पर मुझे बुलाया ले माँ
नव दुर्गा ममता की मूरत ,,भक्तों की प्रति पालक मां।।



*रेणु शर्मा,जयपुर राजस्थान


 


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