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धरा की अनंत पीड़ा


 

 

 

 

 

 

 


*प्रीति शर्मा 'असीम'

 

विश्व धरा ने युगों -युगों से ,

अनंत पीड़ा सही।

जीवन दिया ,

पोषण किया। 

पालक होकर भी,

पतित रही ।

 

अपनी ही संतानों का,

संताप हर ,

अनंत संताप सहती रही ।

 

विश्व धरा ने युगों -युगों से,

अनंत पीड़ा सही ।

 

स्वर्णनित उपजाऊ शक्ति देकर ,

भूख मिटाई दुनिया की , 

पर अपने संतानों की लालसा से,

उनके लालच से बच ना सकी।

 

 विश्व धरा ने युगों- युगों से,

अनंत पीड़ा सही।

 

अपनी सारी सुंदरता देती रही। 

और अपनी ही संतानों से, 

करूपित होती रही ।

 

गंदगी के ढेरों को सहती रही। 

अमूल्य धरोहरों को देकर ,

प्रदूषण से सांसे घुटवाती रही।

विश्व धरा ने  युगों -युगों से,

अनंत पीड़ा सही।

 

इंसानो की गलतियों से,

जब रुौद्र रूप लेती।

सबकी गलतियों की सजा,

खुद ही सह लेती।

 

आज विश्व धरा दिवस पर ,

संकल्प ले......

कोरोना की आपदा 

जो कुछ 

लालची इंसानों ने बनाई।

 

किस तरह विरान कर दी धरा। 

मौत से कैसे धरा आज कंप कंपाई।

 

*प्रीति शर्मा 'असीम'

नालागढ़ हिमाचल प्रदेश


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