*अशोक 'आनन'
आशंकित हैं मन -
दहशत में हैं घर ।
अख़बार परोस रहे हैं -
मौत की ख़बरें ।
कालिख में आकंठी हैं -
कुमकुमी सहरें ।
उड़ान से पहले ही -
नोंच लिए पर ।
चकमकों के घर हैं -
बारूदी बिछातें ।
शामियाने हैं फूसी -
माचिसी कनातें ।
हवाएं हुईं पागल -
देख गर्म दुपहर ।
फूल शोले हुए -
कली हुईं चिंगारियां ।
मौसम आतंकी हुए-
कर अठखेलियां ।
केसरिया तितलियों के -
राख हुए पर ।
*अशोक ' आनन '
मक्सी ,जिला - शाजापुर (म.प्र.)
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