*प्रदीप वैरागी
चीनी चाल समझनी होगी घर के जिम्मेदारों को।
और सजग अब रहना होगा अपने पहरेदारों को।।
हिंदी चीनी भाई-भाई कब तक आख़िर बोलोगे।
दुनिया का यह दुश्मन है कब तक फूलों से तोलोगे?
चीनी युद्ध अघोषित है यह समझो मेरी बातों को।
कब तक आख़िर और सहोगे दुश्मन की इन घातों को।
कोरोना का दंश बड़ा है जन-धन की बर्बादी है।
आज घरों में कैद हो गई बहुत बड़ी आबादी है।।
फिर भी घर से बाहर कितने सड़कों पर भी रेला है।
वामपंथियों ने भी मिलकर खेल घिनौना खेला है।।
दिल्ली और नोयडा की सड़कें पब्लिक से भरी हुई।
भूखे पेट मनुजता रोती 'कोरोना' से डरी हुई।।
जिम्मेदार देश के आख़िर क्योंकर नहीं संभाल रहे?
एक दूसरे पर तुम कीचड़ क्योंकर आज उछाल रहे।।
नहीं समय है और शेष अब समझो इन हालातों को।
क्योंकर हल्के में लेते हो मोदी जी की बातों को?
मानो मेरा एक निवेदन इतना तुम सहयोग करो।
घर के अंदर जैसे भी हो कामकाज और योग करो।।
पत्रकार और पुलिस ,डॉक्टर ,सेवाकर्मी जूझ रहे।
देकर सेवा चौबीस घंटे हाल सभी का पूछ रहे।।
धन्य-धन्य वे भाई बहनें जिनकी सेवा जारी है।
बने हुए भगवान डटे हैं पूजा के अधिकारी हैं।।
*प्रदीप वैरागी
शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
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