*विजय कनौजिया
लिखा है गीत फिर मैंने
मुझे संगीत तुम दे दो
मधुर सरगम बने तुमसे
जरा सी प्रीति तुम दे दो..।।
नहीं होगी कभी फीकी
मधुर मुस्कान होठों की
मेरी मुस्कान में अपनी
अगर मुस्कान तुम दे दो..।।
इन आँखों की नमी में
यादों के बादल गरजते हैं
आ जाए फिर से अब सावन
अगर बरसात तुम दे दो..।।
संजोया है तुम्हारी याद को
मन के घरौंदे में
सुसज्जित फिर से हो जाए
अगर पदचाप तुम दे दो..।।
लिखा है गीत फिर मैंने
मुझे संगीत तुम दे दो
मधुर सरगम बने तुमसे
जरा सी प्रीति तुम दे दो..।।
जरा सी प्रीति तुम दे दो..।।
*विजय कनौजिया,अम्बेडकर नगर
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