*डॉ.अनिल शर्मा "अनिल"
खुशियों का पैगाम लिए,आती बैसाखी भैय्या जी।
नाचे भंगड़ा,गिद्धा सब मिल,घर घर में नाच नचैया जी।।
अपनी मेहनत का फल पाकर,मस्ती में झूम किसान रहे।
फसलों के उत्पादन से सब,भण्डार भरे,खलिहान रहे।।
दशमेश गुरु गोबिंदसिंह ने,खालसा पंथ का सृजन किया।
निज धर्म और निज राष्ट्र, प्रभु का मिलकर सबने भजन किया।।
पकवान पके,पूजा विशेष,घर घर में होते आयोजन।
नयी फसल को पा,नव उल्लासित,हर्षित हो जाता है जन मन।।
जय वीर जवान,जय जय किसान,सबके मन में उल्लास रहे।
हो मंगलमय बैसाखी पर्व,शुभदायक यह बैसाख रहे।
*डॉ.अनिल शर्मा "अनिल",धामपुर
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