*अशोक ' आनन '
बीत गया सो बीत गया ।
आओ , गाएं गीत नया ।
छोड़ घृणा का राग पुराना ।
गाएं प्यार का नया तराना ।
आग लगा न पाए हृदय में -
फूल अमन के हमें खिलाना ।
मनाएं , रूठ जो मीत गया ।
आओ , गाएं गीत नया ।
ज़हर हृदय में और न घोलें ।
बोली शहद सरीखी बोलें ।
ऐसे मौसम देश में आएं -
भौंरे - तितली घर - घर डोलें ।
भरें , प्रेम - घट जो रीत गया ।
आओ , गाएं गीत नया ।
बापू का कोई स्वप्न न टूटें ।
कोई हमारा देश न लूटे ।
हाथ सभी के आज थामकर -
उर पर काढ़े प्रेम के बूटे ।
याद रहे , मन जो जीत गया ।
आओ , गाएं गीत नया ।
स्वर्णिम दिन हों, श्वेता रातें ।
घर - घर हों सावन की बातें ।
मौसम पर हो नज़र सभी की -
छुपकर जो कर न पाए घातें ।
भूलें , मौसम जो पीत गया ।
आओ , गाएं गीत नया ।
हवा में घुला हो केसर - चंदन ।
शीश झुका हो माटी का वंदन ।
भेदभाव की दीवार गिराकर -
दिल से दिल का हो अभिनंदन ।
गर्म रखें, रिश्ता जो शीत गया ।
आओ , गाएं गीत नया ।
भूख़ , ग़रीबी , न हो लाचारी ।
न पेट की हो मारा मारी ।
मुस्कान खिले हर चेहरे पर -
सुख की जग में हो बलिहारी ।
लौटाएं , समय जो ललित गया ।
आओ , गाएं गीत नया ।
*अशोक ' आनन '
मक्सी जिला - शाजापुर (म.प्र.)
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