*हमीद कानपुरी
जिसके साथ दिखे नफा , होता उसके संग।
गिरगिट का होता नहीं, अपना कोई रंग।
आपस में मिलकर रहें, यदि धरती पर धर्म।
ताक़तवर हो आदमी , सौ फीसद कंफर्म।
हर सू बस करती फिरे, वोटों का व्यापार।
काम नहीं कुछ भी करे, एेसी ये सरकार।
बड़ा सेठ अब कर रहा, हँसकर ये स्वीकार।
किस्मत से उसको मिला, अच्छा चौकीदार।
कोरोना कारण हुआ , जीना अब दुश्वार।
काम धाम हैं बन्द सब , बैठे हैं थक हार।
*हमीद कानपुरी
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