छिंदवाड़ा -भारत की पहली मीडिया डायरेक्टरी पत्रकारिता कोश द्वारा साहित्य संवर्धन एवं ज्ञप्त प्रसारण जैसे उद्देश्यों को लेकर होलाष्टक की पूर्व संध्या में बसंतोत्सव की सुहावनी बेला पर "काव्य रंग" कार्यक्रम का आयोजन सुभाष पार्क में किया! कार्यक्रम का संचालन कवि रत्नाकर रतन ने किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव ने की तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व न्यायधीश केशव प्रसाद तिवारी तथा विशिष्ठ अतिथि पूर्व पार्षद व समाजसेवी विकास राय थे ! मां सरस्वती की वंदना श्रीमती मोहिता जगदेव ने प्रस्तुत की तो कार्यक्रम का आगाज करते हुए चांद से पधारे नवोदित कवि श्रीकांत सराठे ने जिले की सुंदरता को कविता के माध्यम से चित्रण किया, इसी क्रम में नवोदित कवि पप्पू इवनाती ने पढ़ा "नेक नियत से तेरा जब वास्ता हो जाएगा
रब की रहमत से तुझे सब कुछ प्राप्त हो जाएगा
ध्यान मंजिल पर ही रख मत रास्ते की फिक्र कर
तू अगर चलता रहेगा रास्ता हो जाएगा"
चौरई से पधारे नवोदित कवि रहेश वर्मा ने श्रंगार बिखेरते हुए माहौल दिया
"प्रेम की बस्ती में अलगाव कितने हैं
है तो ढाई अक्षर पर भाव कितने हैं
इस दरिया से पार होना सब चाहते हैं
लोग तो बहुत है पर भाव कितने है"
इसी क्रम को आगे बढ़ाया युवा कवि शशांक दुबे ने "जवानी घूमती फिरती नशा मद्धम नहीं होता
मिजाजी रंगो बिखरते वह बेरहम नहीं होता
फरेबी बेवफा होने से पहले यह जरा सुन लो
बुढ़ापे में सिवा उनकी कोई हमदम नहीं होता"
ओज कवि अंकित विश्वकर्मा ने देश भक्ति का माहौल दिया "सत्य के लिए सत्य को लड़ना जरूरी है
जयचंद और जयद्रथों से भिड़ना जरूरी है"
महिला कवित्री श्रीमती बेनानी सिंह बघेल ने होली पर्व पर चिंतन की रचना परोसी तो श्रीमती मोहिता जगदेव ने फागुन की मोहकता को कविताओं से वयक्त किया!
वरिष्ठ कवि शिवराम विश्वकर्मा "उजाला" ने "रितुओ का सरताज है कहते जिसे बसंत, जिसके आने पर हर्षित होते किसान कवि और संत" से बसंत का स्वागत किया तो
कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि रत्नाकर रतन ने अपने सुंदर गीत से बसंत की महक बिखेरी ! युवा व्यंग्य शिल्पी विशाल शुक्ल ने खत्म हो रही इंसानियत पर चिंतन की रचना से ध्यान खीचा
"कुछ जलते भुनते लोग नदी नाले सा उफनते लोग
रखकर सीख ताक पर नफरत का जाल बुनते लोग"
वरिष्ठ कवि व पूर्व न्यायधीश केशव प्रसाद तिवारी ने न्यायिक हालात पर गीत प्रस्तुत कर वाह वाही लूटी!
लोकप्रिय कवि व चिकित्सक डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव ने बसंत ऋतु के प्रभाव को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया "बसंत जो विषम बाण से सज्जित है,
मकरध्वज रथ को साथ लिये
मन पर शासन करने आया
ऋतुराज मदन को साथ लिए"
देर शाम तक एक से बढ़कर एक काव्य रस की वर्षा में प्रमुख रूप से दुलीचंद जैन, मुकेश जगदेव, अनिल भमोडे, तुहिसा जगदेव, हरिओम माहोरे सहित अनेक लोग उपस्थित होकर काव्य का रस पान करते रहे! कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन विशाल शुक्ल ने किया!
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