*राजीव डोगरा
रिश्ते बनाते हो तो
रिश्ते निभाना सीखो।
दिल लगाते हो तो
दिल लगाना सीखो।
जीवन मिला है तो
थोड़ा-थोड़ा मर कर
जीना भी सीखो।
वक्त के पन्नों पर
सब कुछ धीरे-धीरे
बदल सा जाएगा।
स्वयं को समझ कर
दूसरों को समझाना सीखो।
टूटते है दिल अक्सर
कांच की तरह
फिर भी दूसरों के दिल को
ज़रा बहलाना सीखो।
*राजीव डोगरा,ठाकुरद्वारा
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