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प्रेम कविता















*डॉ. अनिता सिंह
यह सच है कि प्रेम कविता
लिखने का कभी ख्याल नहीं आया।
लिखा है मैने बहुत कुछ
विविध विषयों पर ।

लिखा है मैने
ईश्वर की मुलाकात और
गुरूदेव के आशीर्वाद पर ।
देश -दुनिया और समाज पर ।

लिखा है मैने
बेईमानी और चापलूसी
की मुलाकात पर ।
सहमें सच और
झूठ की तेज आवाज पर ।

लिखा है मैने
साधु संत के रूप में छिपे
ढोंगियों के यौन अत्याचार पर।
बच्चों के स्वभाव और
बड़ो की बात पर ।

बहुत कुछ लिखा है मैने
आगे बढ़ती बेटियों के नाज पर और
बेटियों के साथ हो रहे बलात्कार पर।

लिखा है मैने
नारी मन में छिपे विचार पर।
पर पता नहीं क्यों आजकल सिर्फ
प्रेम कविताएँ ही लिख पाती हूँ ।

*डॉ. अनिता सिंह
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


 














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