*इन्दु "राज" निगम
फूलों को मुस्काने दो, कलियों को खिल जाने दो,
इस वासन्ती मौसम को, गीत खुशी के गाने दो।
इस वासन्ती....
आया नया ज़माना है, मौसम हुआ सुहाना है,
इस अलबेले मौसम ने, गाया यही तराना है,
भूलो दुख की घड़ियों को,
सुख के पल को आने दो
इस वासन्ती....
नदिया जैसा बहना हो, सबसे मिलना जुलना हो,
तुमको कुछ-कुछ कहना हो, मुझको सब कुछ सुनना हो,
नई कहानी लिखते हैं,
मिलते जब अनजाने दो
इस वासन्ती....
सबके मन में प्रीत रहे, जीवन में संगीत रहे,
हार जाए दुख दर्द सभी, संग हमारे जीत रहे,
साथ साथ झूमो मेरे,
मुझको गीत सुनाने दो
इस वासन्ती....
*इन्दु "राज" निगम, गुरुग्राम
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