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डॉ. रेड्डी ने मातृभाषा और राष्ट्रभाषा में समन्वय करना सिखाया



चेन्नई। तमिलनाडु हिंदी अकादमी का व्याख्यान 23 फरवरी रविवार को यहाँ पश्चिम मांबलम् स्थित ज्योति निकेतन में हुआ। विश्व मातृभाषा दिवस को समर्पित कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में अकादमी के संस्थापक महासचिव रहे ईश्वर करुण ने अकादमी संस्थापक डॉ. बालशौरि रेड्डी को याद किया और अकादमी के गौरवपूर्ण अतीत के कई प्रसंग साझा किये। उन्होंने डॉ. कृष्णचंद चोरड़िया, डॉ. दिलीप धींग आदि का आभार जताया कि वे अकादमी को आगे बढ़ा रहे हैं। करुण ने कहा कि डॉ. रेड्डी ने मातृभाषा और राष्ट्रभाषा में समन्वय करना सिखाया तथा वे स्वयं इसके उदाहरण बने। उनकी मातृभाषा तेलुगू थी, फिर भी उन्होंने राष्ट्रभाषा हिन्दी का गौरव बढ़ाया। उन्होंने तेलुगू में भी पर्याप्त लिखा और तेलुगू के शब्द, मुहावरे, कथाएँ आदि हिन्दी साहित्य में भी प्रयुक्त किये। महासचिव डॉ. दिलीप धींग ने स्वागत भाषण दिया और मुख्यवक्ता का शॉल, माला, साहित्य और सम्मान-राशि से अभिनन्दन दिया। सचिव जे. अशोककुमार जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। जयालक्ष्मी ने सरस्वती वन्दना की। उमा प्रभाकरण, डॉ. जमुना कृष्णराज और पी. नागरत्नम् ने भी विचार रखे। 


 


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