Subscribe Us

*उदासियां















*राजीव डोगरा






कभी-कभी उदासियां
बहने लगती है इन अश्कों में।
जो बातें कही नहीं जाती
वे बह जाती है
अक्सर इन अश्कों में।


मत पूछा करो
इन खामोशियों की वजह
इन तनहा रस्तों से।
बहुत कुछ खोया है
बहुत कुछ पाया है
अक्सर इन गुमनाम रास्तों से।


मत पूछिए
वफ़ा की बातें हम से।
बहुत दिल लगाया है
और बहुतो से
दिल से निभाया है,
मगर फिर भी अक्सर
दर्द ही मिला है
हमें अक्सर सस्ते में।


*राजीव डोगरा
गवर्नमेंट हाई स्कूल,ठाकुरद्वारा







 














साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/ रचनाएँ/ समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखे-  http://shashwatsrijan.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ