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सर्वधर्म समभाव का मूलमंत्र अपनाना होगा - डाॅ. मोहन गुप्त 















उज्जैन। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सर्वधर्म समभाव का मूलमंत्र हम सभी को दिया है। इसे हम सभी को अपनाने की आवश्यकता है। विशेष रूप से गांधी के विचार युवा पीढ़ी में प्रसारित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। गांधीजी नैतिकता के प्रतिमान है। नैतिकता ने ही गांधी को विश्व मानव बनाया है। उक्त विचार पूर्वं संभागीय आयुक्त डाॅ. मोहन गुप्त ने भारतीय ज्ञानपीठ में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा के अवसर पर व्यक्त किये। कस्तुरबा ग्राम संस्थान, इन्दौर की प्राध्यापिका डाॅ. कीर्ति यादव ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में यदि बदलाव लाना है तो हमें स्वयं के भीतर बापू के विचारों को आत्मसात करना होगा। महात्मा गांधी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा था कि उनसे वैचारिक मतभेद रखने वाले लोग भी उनका सम्मान करते थे। बापू का जीवन एक खुली किताब की तरह था। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डाॅ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने समारोह को संबोधित करते हुए बापू के विचारो के महत्व पर प्रकाश डाला। संस्था में ही गांधी स्तम्भ एवं गांधी के चित्रों पर आधारित प्रदर्शनी ‘मोहनिया से महात्मा’ का अनावरण भी किया गया। 

समारोह के आरंभ मंे संस्था के विद्यार्थियों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की गई। स्वागत उद्बोधन संस्था अध्यक्ष श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने दिया। संचालन संस्था निदेशक सुश्री अमृता कुलश्रेष्ठ ने किया तथा आभार महाविद्यालयीन प्राचार्य डाॅ. नीलम महाडिक ने माना।

 













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