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प्याज का धन्यवाद ज्ञापन



*मीरा सिंह 'मीरा'*
ताजपोशी के बाद मीडिया के समक्ष प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्याज महाराज ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।सबको रुलाने वाले प्याज महाराज आज खुद खुशी के आंसू बहा रहे थे। भाव विह्वल होकर कह  रहे थे कि हमें इस  मुकाम तक पहुंचाने के लिए सबसे पहले हम  समस्त जमाखोर भाइयों को तहे दिल से आभार व्यक्त करते हैं।इन्होंने हमें इस शिखर तक पहुंचाने के लिए एड़ी चोटी का प्रयास किया है । जिस तरह माननीय वोट के लिए अपने  विधायकों को नजरबंद रखते हैं, उसी प्रकार हमारे जमाखोर भाईयों ने भी हमें भटकने से बचाने का भरसक प्रयास ही नहीं किया ,अपने गुप्त तहखानों में छिपा कर भी रखा।हमें शरण देने व इस बुलंदी तक पहुंचाने के लिए उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद। सच कहिए तो उनके सहयोग के बिना हमारे लिए यह ऊंचाई हासिल करना संभव नहीं था। हमारे विकास रथ को रोकने से मना कर सरकार ने भी हमारे हौसले को बुलंद किया है।मौन समर्थन देनेवाली ,सहयोगी , शुभचिंतक व लोकप्रिय सरकार को भी दिल की अतल गहराईयों से धन्यवाद देते हैं जिसके छत्र छाया में हम पले बढ़े और इस ऊंचाई के इस नये कीर्तिमान पर पहुंचे।हमें अच्छी तरह से याद है वह दिन, जब हमें देख कर हमारे जन्मदाता अर्थात् अन्नदाता  मुंह लटका लिया करते थे। ठीक वैसे ही जैसे किसी घर में अनचाही बेटी जन्म ले लेती है।मन मलिन करते भी क्यों नहीं?  अब तक तो हम  उनके निखट्टू औलाद ही साबित हुए थे। हमारी जाति के इतिहास में ऐसे सुअवसर नहीं के बराबर ही आए हैं, जब हमारे जनक, हमारे अभिभावक एवं समस्त परिजन हमें देखकर हर्षित हुए हो।इस खुशी के अवसर पर यह सत्य स्वीकारने में हमें तनिक भी संकोच नहीं कि हम उनको कभी ज्यादा मुनाफा नहीं दिला पाए थे।उनके स्नेह व दुलार के लिए हम सदैव  तड़पते रहते थे।आज हमारे जन्मदाता हमें साथ पाकर अपने भाग्य पर इतरा रहें हैं।ईश्वर उनकी खुशियां चिरस्थाई रखें ।  
समाज के कुछ समुदायों ने भी  हमारे साथ अछूतों जैसा बर्ताव किया। गलती से भी अगर हम उनकी रसोई की चौखट पर या उनके इर्द-गिर्द कहीं दिख  जाते थे तो वो ऐसा हाव-भाव दिखाते मानो हमसे कोई जघन्य अपराध हुआ हो।आंखों  से  ऐसे धूरते थे जैसे  उसी वक्त हमें वही भस्मीभूत कर देंगे।उफ, वो आंखें थी या आग्नेयास्त्र?
हमारी नस्ल के प्रति भेदभाव पूर्ण व्यवहार करने में मां बहनें भी कभी  पीछे नहीं रहीं।याद है वह दिन जब एक घर में भव्य  पूजा की तैयारी चल रही थी ।उत्सुकतावश खुशी में शरीक होने की ख्वाहिश लिए हम भी चोरी छिपे एक मासूम बच्चे की कोमल मुठ्ठी  में बंद होकर उस स्थल पर पहुंच गए थे ।उसके  साथ मुझे देखकर उस मासूम पर लोग वैसे टूट पड़े थे जैसे कि एक निरिह मेमने  पर कई शेरों का झुंड ।बेचारा मासूम तो यह भी नहीं जाना कि उससे  गलती क्या हुई ? काश कि हमारे पांव होते,  तो सच कहता हूं इस नफरत और हिकारत के माहौल से हम  कोसों दूर चला गए होते ।पर भाइयों,गीता में कहा गया है कि  जो होता है, अच्छा ही होता है।हमने भी इस सत्य को स्वीकार कर सच्चे दिल से निस्वार्थ भाव से मानव की सेवा की। आज  फक्र  से कहते हैं कि हमें सब्र का फल मिल रहा है।भावना में बहकर यदि उसदिन मानव समाज से दूर चले गये होते,तो आज यह ताजपोशी कैसे होती? जो लोग हमें  अपमान करते थे और उपेक्षित समझते थे,आज वह भी हमें हसरत भरी आंखों से देख  रहे हैं।हमारी शोहरत से जल भुन रहे हैं।इस खुशी के अवसर पर  हम उन सबको भी आभार व्यक्त करते  हैं।हम आप सभी मीडिया कर्मियों को भी  शुक्रिया अदा करते हैं  जिनके प्रचार-प्रसार के बिना हम यह मुकाम हासिल नहीं कर सकते  थे ।भाइयों  आपके बदौलत ही हम हाशिए से निकल कर आवरण पृष्ठ की शोभा बन पाए हैं ।आज कोई हम पर महाकाव्य रच रहा है तो कोई हमारा बायोपिक बनाने के लिए बेताब है।इतिहास के पन्नों में हमारा नाम दर्ज कराने वाले भाईयों,  आप सब हमारे अपने हैं।आपसे सदैव यही सहयोग और स्नेह की  कामना रहेगी।हमने सुना है कि किसी  कवि ने हमारी तारीफ में यह  भी कहा है 
"सुर नर मुनि ,चाहे सब कोई।
प्याज सम किस्मत पाए हर कोई"
उन्हें भी साधुवाद । अंत में आप सभी को धन्यवाद करते हुए हम अपने मुखारविंद को विराम देते  हैं ।
"जय प्याज, प्याज की जय ।"


*मीरा सिंह "मीरा"
डुमराँव ,बक्सर, बिहार

 



 



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