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हे अबला  ! कब बनेगी तू सबला  ?



*सुरेश  शर्मा*


कमजोर  अबला का चोला उतार ,
आज से ही तू त्याग दे ।
कर धारण  सशक्त  सबला  का कवच ,
दरिन्दे भेड़ियों  का  तू  दहन कर  दे ।




याद कर उस रानी  झांसी  को ,
जिसने दुश्मनो को धूल चटाई थी।
बन जा  तू भी अब  मर्दानी वैसी ,
भयभीत होकर जीना  तू छोड़ दे ।

तुम पर बुरी  नजर  रखने  वालों  की ,
बाघिन बनकर दोनो आंखे तू फोड़ दे ।
फिर कभी भी ना कर सके ऐसी  जुर्रत ,
उसके दोनो हाथ-पैर  तू तोड़ दे ।

कर डटकर मुकाबला उन दरिन्दो से ,
ताकि तुझे  सताना  छोड़ दे ।
बन जा तू अब तूफानी खंजर ,
कि तुझे देखते  वो अपना रूख मोड़ ले ।

जीना है तुझे  आन वान और शान से ,
आज  से ही  तू  यह ठान ले  ।
शेरनी  बनकर  जीना  सीख  ले ,
निर्बल  की तरह मिन्नते करना तं छोड़ दे ।

 

*सुरेश  शर्मा
शंकर नगर, नूनमाटी
गुवाहाटी (आसाम )
मोबाइल नंबर=8811033471



 

 

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