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हाइकु





 *अंकुर सहाय 'अंकुर'*


तुम्हारे बाद 

बेबस यादें बोलीं 

लौट आ जाना 

***

मुस्कुराकर

बरस गई आंखें 

कोई न जाने 

***

आंख बिचारी

पथ निहार रही

 मन चंचल ।

****

पेट के लिए

बंधुआ मजदूर

नहीं बनना ।

**

प्रेम के पन्ने

कोरे रह ही गए

ख़्वाब अधूरे ।

**

आज की सीता

लेना चाहें राम की

अग्नि परीक्षा

**

प्यार के मारे

सुहागन निंदिया

स्वप्न कुंवारे ।

***

पायल बजी 

बावरा मन चला

गांव की ओर ।।

****

प्यार के बोल

मन की गांठें  खोल

हैं अनमोल।।

***

बोलते नेता 

मारी जाती जनता 

चलते जूते ।

****

 *अंकुर सहाय"अंकुर"

 खजुरी(अहरौला), आजमगढ़



 


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