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मज़बूरी की मिसाल हैं , बच्चे ग़रीब के 



*अशोक'आनन'*

 

मज़बूरी की मिसाल हैं , बच्चे ग़रीब के  ।

कई ज्वलंत सवाल हैं , बच्चे ग़रीब के  ।

 

जूठन को ही अपनी तक़दीर जो समझते -

तन  से  फटेहाल  हैं ,  बच्चे   ग़रीब   के  ।

 

प्रतिकूलताएं मौसम की जो झेलते रहे  -

जीवित ये बहरहाल हैं , बच्चे  ग़रीब  के  ।

 

स्वप्न जिनकी आंखों के पारे से बिखर गए -

फिर भी ये  खुशहाल  हैं , बच्चे  ग़रीब  के ‌।

 

लदा जिनके कांधों पर , बोझ विवशता का -

युग के गिरधर गोपाल हैं , बच्चे ग़रीब ‌के  ।

 

अपनों ने भी जिनको किया  सदा उपेक्षित -

उनके  लिए  जंजाल  हैं  , बच्चे  ग़रीब ‌ के  ।

                                            

बरसात बसा आंखों में  दु:खों  को  झेलते -

बेहाल  मां  के  लाल  हैं ,  बच्चे  ग़रीब  के  ।

 

आंधी , तूफ़ान  में  भी  जले  जो  हंसकर ‌-

अंधियारे  में  मशाल  हैं , बच्चे  ग़रीब  के  ।

 

धनवान को खटकते जो विपदाओं की तरह -

बाढ़  कभी  अकाल  हैं  ,  बच्चे  ग़रीब  के ‌।

 

*अशोक'आनन'मक्सी जिला-शाजापुर (म.प्र.),मोबाइल नं : 9981240575 / 9977644232

 





















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