*हमीद कानपुरी*
लौटो घर को अब तो प्यारे।
टेर रहे हैं घर चौबारे।
प्यार मुहब्बत पर अक्सर ही,
नफरत के चलते हैं आरे।
आँख चुराते मेहनत से जो,
दिन में दिखते उनको तारे।
आस जगी है दहकां मन में,
नभ पर बादल कारे कारे।
सब कुछ देखा है जीवन में,
अनुभव मेरे मीठे खारे।
नेता अपने खद्दर धारी,
एक तरह के लगते सारे।
पहले तो की लापरवाही,
अब फिरते हैं मारे मारे।
सत्ता पायी जीत इलेक्शन,
करते हैं अब वारे न्यारे।
*हमीद कानपुरी
(अब्दुल हमीद इदरीसी)
179, मीरपुर, कैण्ट, कानपुर-208004
9795772415
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