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कौन तकता है बार-बार किसे



*नवीन माथुर पंचोली*


कौन तकता है बार-बार किसे।

इस क़दर राहे  इंतज़ार  किसे।

 

अपनी आँखों में कुछ नमी लेकर,

यूँ  रुलाता   है  जार-जार किसे।

 

जब   निभाये  हैं  वास्ते  उसने,

फिर  जताता  है  एतबार किसे।

 

ख़ुद छुपाता है ग़म सभी अपने,

और कहता   है राज़दार  किसे।

 

रात की नींद ,  चैन  सब  खोया,

दे दिया उसने अपना प्यार किसे।

 

*नवीन माथुर पंचोली,अमझेरा धार,मप्र  मो.9893119724

 





















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