*डॉ अरविन्द जैन*
महाभारत काल में जब अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह के बारे में बता रहे थे जितने समय तक जाएगी उतना अभिमन्यु ने सुना। इससे यह सिद्ध होता हैं की गर्भस्थ शिशु पर भी उनके भावों का प्रभाव पड़ता हैं .गर्भिणी स्त्री जैसे भाव रखती हैं वैसे भावों का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता हैं .आज कल मोबाइल ,टी वी और उपलब्ध साहित्य का प्रभाव भी माँ के साथ शिशु पर भी पड़ता हैं .इसके प्रभाव और दुष्प्रभाव दोनों उपयोगकर्ता पर पड़ते हैं .
मोबाइल फोन को लंबे समय तक देखते रहने से न सिर्फ आपकी आंखों को नुकसान होता है। बल्कि हाल ही में हुई एक अध्ययन की मानें तो अगर गर्भवती महिला लंबे समय तक मोबाइल फोन उपयोग करे तो होने वाले बच्चे में स्वाभाव से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि मोबाइल फोन जो अब स्मार्टफोन बन चुका है हमारी जिंदगी का ऐसा अहम हिस्सा बन चुका है जिसे हम अपनी जिंदगी से अब अलग नहीं कर सकते। मोबाइल के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना करना भी शायद मुश्किल ही लगे। बच्चों से लेकर युवावस्था और बुजुर्गों तक... हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन रहता है और बड़ी संख्या में लोगों की इसकी लत भी लग चुकी है। इस लिस्ट में गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। लेकिन मोबाइल के अधिकतम उपयोग का न सिर्फ आप पर बल्कि गर्भ के अंदर पल रहे बच्चे पर भी बुरा असर पड़ता है।
बच्चे में बिहेवियर से जुड़ी दिक्कतें
मोबाइल फोन की स्क्रीन और उससे निकल रही ब्राइट ब्लू लाइट को लंबे समय तक देखते रहने से न सिर्फ आपकी आंखों को नुकसान होता है। बल्कि हाल ही में हुई एक स्टडी की मानें तो अगर प्रेग्नेंट महिला लंबे समय तक मोबाइल फोन यूज करे तो होने वाले बच्चे में बिहेवियर से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। वैज्ञानिकों ने डेनमार्क में इसको लेकर एक स्टडी की जिसमें प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद मोबाइल फोन यूज करने का बच्चे के व्यवहार और इससे जुड़ी समस्याओं के बीच क्या लिंक ये जानने की कोशिश की गई।
हाइपरऐक्टिविटी और बिहेवियरल इशू का शिकार
इस स्टडी में ऐसी महिलाओं को शामिल किया गया जिनके बच्चे 7 साल के थे। स्टडी के दौरान महिलाओं को एक प्रश्नोत्तरी दिया गया था जिसमें उनके बच्चे की हेल्थ और बिहेवियर के साथ-साथ वे खुद फोन का कितना इस्तेमाल करती हैं, इससे जुड़े सवालों के जवाब देने थे। स्टडी के आखिर में यह बात सामने आयी कि जिन महिलाओं के बच्चे प्रसव से पूर्व और प्रसव के बाद स्मार्टफोन के प्रति एक्सपोज थे यानी जिन मांओं ने प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद भी मोबाइल यूज ज्यादा किया उनके बच्चे हाइपरऐक्टिविटी और बिहेवियरल इशूज का शिकार थे।
प्रेग्नेंट महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान
-मोबाइल फोन पर बहुत ज्यादा बात करने की बजाए टेक्स्ट भेजें या लैंडलाइन का उपयोग करें
-प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत ज्यादा सोशल मीडिया को स्क्रॉल न करें
-जहां तक संभव हो हैंड्स फ्री किट यूज करें ताकि सिर और शरीर के नजदीक रेडिएशन को कम किया जा सके।
संभव हो तो इनका उपयोग ना करना ही हितकारी हैं और जन्म के बाद आजकल मोबाइल से फोटो लेना भी हानिकारक हैं .कारण गर्भस्थ शिशु नौ माह तक अँधेरे माहौल में रहता हैं और उसे प्रकाश का संसर्ग उसके लिए हानिकारक होता हैं और वह उस प्रकाश से अभ्यस्त होने से उसका लती बनने लगता हैं जिस कारण उसे दूध पीना ,खेलने में भी मोबाइल या टी वी की जरुरत पड़ती हैं .यह घातकता की निशानी हैं।
*डॉ अरविन्द प्रेमचंद जैन,भोपाल ,मोबाइल 09425006753
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