*शिव कुमार 'दीपक'*
बाबूजी को दुनिया छोड़े,
एक साल भी ना बीता ।
पुत्र -वधू तंग करे माँ को,
वह करती रोज फजीता ।।-1
प्रेम जाल में फँस कर बेटा,
माँ से नफरत कर बैठा ।
अब घर से दूर भगाने को,
पत्नी देती नित ऐंठा ।।-3
पति-पत्नी अब रहें मौज में,
माँ नौ - नौ आँसू रोये ।
कष्टों का नित करे कलेवा,
दुख में जागे औ सोये ।।-5
सुरपुर को जाने से पहले,
माँ मन में ममता जागी ।
उसे बुला दो अरे सेवको,
जो है नारी अनुरागी ।।-7
सुनकर टेलीफोन,चला वह,
अधवर में पिकनिक छोड़ी ।
छोड़ी साली, घरवाली फिर,
गाड़ी आश्रम को मोड़ी ।।-9
माँ का हाल देखकर बेटा,
हाथ पकड़ कर यूँ बोला ।
बोलो माँ,क्या करूँ आपको,
मन का दरवाजा खोला ।।-11
इतनी सुनकर बेटा बोला,
वर्षों से कुछ ना माँगा ।
अब क्या होगा माँ इन सबका,
टूट रहा जीवन धागा ।।-13
मुझको डर है सुत जब तेरा,
घर से तुझे निकलेगा ।
मैंने कष्ट सहे हैं बेटा ,
तू कैसे सह पायेगा ?।।-15
तू ! जो कहती सब कर दूँगा,
लेकिन यहाँ न छोड़ूंगा ।
बाहों में भर,शपथ उठाऊं,
अब ना मुख को मोडूंगा ।।-17
*शिव कुमार "दीपक",बहरदोई,सादाबाद,हाथरस (उ०प्र०),मो०-8126338096
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