*बलजीत सिंह बेनाम*
या तो मेरे पास आना छोड़ दे
या दिखा हिम्मत ज़माना छोड़ दे
जो तेरा हो ही नहीं सकता उसे
वस्ल के किस्से सुनाना छोड़ दे
इक नए साथी पे कर अँधा यकीं
कोई क्यों साथी पुराना छोड़ दे
उस नज़र का नूर ही घट जाएगा
गर नज़र वो मय पिलाना छोड़ दे
सिर्फ़ इक सूरज की धमकी से दिया
किस तरह से जगमगाना छोड़ दे
*बलजीत सिंह बेनाम,103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी,हाँसी:125033,मोबाईल:9996266210
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