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सफर ए जिंदगी (कविता)











*धर्मेन्द्र बंम*
सफर ए जिंदगी बहुत  मुश्किल है मगर
डगर तो खुशनुमा चाहिए
राहे कठिन हो  चाहे  मंजिलों  की मगर
हमसफर खुशनुमा चाहिए

ताउम्र गुजारदी हमने पैसों के वास्ते मगर
जरा अब खुशनुमा चाहिए
घर परिवार मित सखा सब अपने हैं मगर
दुश्मन भी खुशनुमा चाहिए

कुदरत ने दिये कुछ पल ठहरने को मगर
हर पल खुशनुमा चाहिए
बितादी है जिंदगी  यूँ ही  रोते हॅसते मगर
अंत भी खुशनुमा चाहिए

*धर्मेन्द्र बंम नागदा (उज्जैन) मो.9424845093












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