*धर्मेन्द्र बंम*
सफर ए जिंदगी बहुत मुश्किल है मगर
डगर तो खुशनुमा चाहिए
राहे कठिन हो चाहे मंजिलों की मगर
हमसफर खुशनुमा चाहिए
ताउम्र गुजारदी हमने पैसों के वास्ते मगर
जरा अब खुशनुमा चाहिए
घर परिवार मित सखा सब अपने हैं मगर
दुश्मन भी खुशनुमा चाहिए
कुदरत ने दिये कुछ पल ठहरने को मगर
हर पल खुशनुमा चाहिए
बितादी है जिंदगी यूँ ही रोते हॅसते मगर
अंत भी खुशनुमा चाहिए
*धर्मेन्द्र बंम नागदा (उज्जैन) मो.9424845093
शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-
अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com
या whatsapp करे 09406649733
0 टिप्पणियाँ