Subscribe Us

रोशनी बन जगमगाओ (कविता)











 


*रूपेश कुमार*

प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे मे ,

रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे मे ,

दिलो का मिलना दिवाली का ये पैगाम ,

दुरिया दिल का मीटाओ इस अंधेरे मे !

 

अजननी है भटक न ज़ाए कही मंजिल ,

रास्ता उसको सुझाओ इस अंधेरे मे ,

ज़िन्दगी का सफर है मुश्किल इसलिए ,

कोई हमसफर हमदम बनाओ इस अंधेरे मे !

 

हाथ को न हाथ सुझे आज का ये दौर ,

रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे मे ,

अंध विश्वासो के इस मन्दिर मजारो मे ,

सत्य की शमा ज़लाओ इस अंधेरे मे !

 

रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे मे !

 

*रूपेश कुमार,चैनपुर,सीवान बिहार




 













शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ