म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

नशीली तेरी जब नज़र साथ होगी












नशीली  तेरी जब  नज़र   साथ होगी।

मुहब्बत की तब रहगुज़र  साथ होगी।

 

रहेगी  ये  मस्ती  यूँ  ही  ज़िन्दगी  भर,

क़दम दर क़दम हमसफ़र साथ होगी।

 

न  तन्हा    रहूँगा   कभी  ज़िन्दगी  में,

तेरी  याद  आठो   पहर   साथ  होगी।

 

मुकद्दर में साहिल जो रब ने लिखा है,

समन्दर की तो हर  लहर साथ होगी।

 

डरेंगे   नहीं  फिर  ज़माने  से हरगिज़,

सनम की  मुहब्बत  अगर साथ होगी।

 

*हमीद कानपुरी,कानपुर




 













शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ