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मां की याद (कविता)











*मीरा सिंह 'मीरा'*
किस बात से रूठी है
मुझसे दूर जा बैठी है
अच्छा पहले यह बतला
प्यारी मां तू कैसी है
गुमसुम सी  क्यों बैठी है
किस सोच में डूबी है
हाल बहुत बुरा है मेरा
क्या इसलिए उदास बैठी है
आंखों से कोसों दूर गई
क्यों इतना मजबूर गई
मैं तेरी धड़कन थी माँ
यह सच भी तू भूल गई
मैं रास्ता देख रही एकटक
छोड़ गई मुझे जिस पथ
है पांव मेरे गतिमान बेशक।
रुक सा गया समय का रथ
दर-दर भटके मन बावरा
पीड़ा  मेरी है अकथ
हाल से मेरे यूं अंजान
कैसे रही तू मां  अब तक
याद तेरी जब आती है
आंखों की नींद उड़ जाती है
आए गए  मौसम कितने
मां तू क्यों नहीं आती है
तेरी याद बहुत आती है
मां तू क्यों नहीं आती है???

*मीरा सिंह "मीरा",+2 महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव बक्सर मोबाइल 9304674258












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