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कहां थे (कविता)





*मीना अरोड़ा*


वो एक आसान सवाल


मुझसे पूछता है


और मैं खोलती हूं 


उन बीते सालों की गठरी


तलाशती हूं चित परिचित चेहरे


पलटती हूं तस्वीरें


उन सबमें वो नहीं है


कहीं नहीं है


फिर अचानक अब


 मुझे क्यों कोई


अपना सा लगने लगा


 याद आता है मुझे


 एक ऐसा बीता वक्त


जब दिल मेरा 


बेवजह


धड़क जाता था


बिना किसी आहट के


मैं चौंक जाती थी


बैचेनी, बेकरारी बढ़ जाती थी


सीली सीली हवा 


गालों को


सहला जाती थी


आंखें नम हो उठतीं थीं


लगता था कहीं बहुत दूर


कोई मुझे याद कर रहा है


उसे मेरा नाम नहीं पता


मैं भी उसका ठिकाना नहीं जानती


बस इतना जानती हूं


जब वो मुझे मिलेगा


तो मैं उसकी आंखों में


झांक कर एक सवाल पूछूंगी-


"इतने सालों से कहां थे?"


पर आज 


वही सवाल


वो मुझसे कर रहा है


और मैं खामोश हूं।।


*मीना अरोड़ा





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