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इस दीवाली (कविता)









*डॉ.प्रीति प्रवीण खरे
हे!
उषा की
प्रथम किरण
तुम अज्ञानियों के
जीवन का अंधकार
दूर करो
शक्ति दो
प्रकाश की
दिव्यता की
पहचान की
सत्यम
शिवम्
सुंदरम को
देखने की
जाग्रत हों इंद्रियाँ
जीवनमूल्य
नैतिकता
संस्कार
संस्कृति
सामाजिक चेतना
जन जन में
जगाओ
और
वसुधैव कुटुम्बक
सर्वे भवंतु सुखिन:
बीज मंत्र
साकार हो
संवेदना जीवित रहे
मौसम बदले
और फिर से
खिलें पेड़
अम्बर नीला हो जाए
तिमिर की कालिमा
छँट जाए
इस दीवाली
प्रकाश रूपी दीपक
हर घर में
दमकता रहे
प्रति दिन
प्रतिपल
प्रतिक्षण

*डॉ.प्रीति प्रवीण खरे,भोपाल म.प्र मो-9425014719














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