म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

हम चलन ऐसा चलाये (गजल)











 

*अलका 'सोनी'*

हम चलन ऐसा चलाये

घर सभी का जगमगाये

 

दूर हो हर रात काली

चांदनी बस झिलमिलाये

 

बन सहारा अब जिये हम,

अब कदम ना लड़खड़ाये

 

मन बड़ा हो जाय इतना

ना गरीबों को सताये

 

हक़ न मारे हम किसी का,

बस दुआ ही हम कमाये

 

छूट हैं पीछे गये जो,

अब जरा उनको बुलाये।

 

*अलका 'सोनी',देवघर, झारखंड



 













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