Subscribe Us

हम चलन ऐसा चलाये (गजल)











 

*अलका 'सोनी'*

हम चलन ऐसा चलाये

घर सभी का जगमगाये

 

दूर हो हर रात काली

चांदनी बस झिलमिलाये

 

बन सहारा अब जिये हम,

अब कदम ना लड़खड़ाये

 

मन बड़ा हो जाय इतना

ना गरीबों को सताये

 

हक़ न मारे हम किसी का,

बस दुआ ही हम कमाये

 

छूट हैं पीछे गये जो,

अब जरा उनको बुलाये।

 

*अलका 'सोनी',देवघर, झारखंड



 













शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ