Subscribe Us

धन लक्ष्मी













जब दीपावली इस साल आयी,
सबको लक्ष्मीजी की फिर याद आयी।
तिजौरी से निकालकर फिर उन्हें पूजा,
ले न जाये कहीं कोई और दूजा।।

घी तेल के खूब दीपक जलाये,
साथ में मिठाई के भी थाल सजाये।
पूजा की और जोडे़ फिर हाथ,
छोड़ न देना कभी मेरा साथ।
हम करते है आपसे यही आस,
इसी तरह आते रहना हमारे पास।

किसी के पास आती हो अधिक,
तो किसी के पास कम।
इसी बात का बेचारे ग़रीबों को,
सदा रहता है ग़म।
वे कहते है कि-
अब तो हम पर तरस खाओ।
जल्दी से अब हमारे पास आ जाओ।।

 

*राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़,(म.प्र.)




 













शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ