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आदमी गर ज़हीन है तो है (गजल)



*हमीद कानपुरी*




आदमी  गर   ज़हीन   है   तो है।

सबको उसपर  यक़ीन  है  तो है।

 

सोचता   वक़्त  से  बहुत   आगे,

सोच  उसकी   नवीन  है   तो है।

 

तर्क  गढ़ता   नये   नये   हर दम,

ज़ह्न  उसका   महीन   है   तो है।

 

आदमी  कर  जमा  समाज  बना,

आदमी   पुर   यक़ीन  है   तो  है।

 

दूर का पास का  पता  कुछ नहीं,

खुद  में  अत्यन्त लीन  है  तो  है।

 

*हमीद कानपुरी,कानपुर मो.9795772415






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