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विष कन्यायों से सरकार परेशानी या सरकारी रौबदार(व्यंग्य)



*डॉ. अरविन्द जैन*
जब से यह काण्ड प्रगट हुआ हैं तब से सब तथाकथित भगवान् भगत फिर रहे .क्या करे  जैसे लड़के की शादी हो जाने के बादलड़का  न अपने माँ बाप का हो पाता और न बीबी का ,वह संतुलन बनाने में लगा रहता हैं .आपने कभी भुट्टे की सिंकाई देखी  होगी .देखी तो होगी पर समझे नहीं उसका रहस्य ! उसे अंगारे पर रखकर उसको ऊपर से पंखे से हवा करते हैं .ऐसी ही स्थिति आजकल हमारे नेता ,मंत्री ,सचिव, धन्नासेठों की हैं ! जी हाँ जब वे खाना खाने टेबल पर बैठते हैं और उनकी धर्मपत्नी वे भी तथाकथित अच्छे पकवान बनाकर परोसती हैं और पूछती हैं की कैसा बना खाना तब साहब को  हिचकी आती हैं और उन्हें लगता हैं की श्रीमती जी पूछ रही हैं की तुम्हारा  नाम तो नहीं हैं तो साहब हकबका कर कहते हैं बहुत अच्छा और नहीं ! तब श्रीमती पूछती है आजकल आपको क्या होता जा रहा हैं .?
आजकल सबकी पत्नियां बहुत परेशान हैं की साहब पहले रोज़बहुत रात में आते थे अब बिना पिए जल्दी आ जाते हैं तो श्रीमतियों  का भी रंग में भंग होने लगा . अब तो साहब को बिना पिए ही नशा आने लगा या जैसे लगने लगे .
जिनको आशंका हैं या जो संलिप्त रहे हैं वे दिन रात अपनी निशानदेही मिटाने में लगे हैं और कोई कोई तो हनुमान चालीसा सुबह जल्दी नहा धोकर पढ़ने लगे हैं .आजकल बहुतों ने रात को मोबाइल बंद कर दिया या शांत कर दिया .हर घंटी से  उनकी हृदय गति बढ़ जाती हैं . बंद होने से धर्मपत्नी कहती हैं कोई अर्जेंट कॉल आगया तो ,तब साहब कहते तुम उठाया करो ,और कह देना अभी घर पर नहीं हैं ,मोबाइल जल्दी जल्दी में छूट गया घर पर .इस समय सरकारी अब असरकारी नहीं रहे जबकि वे विष कन्यायें अ--सरकारी होते हुए असरकारी बन गयी हैं .कितना अधिक प्रभाव की प्रभावशालियों को उनकी औकात दिखादी .देखो कितनी गंभीर और चिंतित हैं सरकार की फटाफट जांचकर्ताओं को बदला जा रहा हैं और मन --माफिक को रखा जा रहा हैं   .इसका मतलब सरकार ,सरकार के सचिव ,सरकार के निकटतम लोगों के अलावा विपक्ष के लोग भी इस प्रयास में बच जायेंगे ऐसी संभावना हैं ,
इसमें सरकार प्राकृतिक न्याय की दुहाई न देकर एकपक्षीय कार्यवाही करे अन्यथा उनका मुँह खुला तो  बहुत मुसीबतों   का पहाड़ टूट पड़ेगा .वास्तव में आजकल सरकार और और उनके कारिंदे बड़े चिंतित हैं .सब अपनी पूर्व रातों को सपने में देखकर चौंक पड़ते होंगे .उनकी पत्नियां सब समझ गयी हैं .भेद अभेद रहना चाहिए .जिनका नाम सामने आ गया वे अपने वीरत्व पर गौरवान्वित होंगे और  वे कह सकेंगे की हमने भी बहती गंगा में डुबकी लगाईं थी .
एक क्षण की भूल
जिंदगी भर के लिए
गुनाहगार बना देती हैं .
जोश में होश नहीं रहता
प्रभुता पाए मद जो आये
इसीलिए अब घर घर में
रावण हैं
उतने राम कहाँ आएंगे
अब उनको राम की नहीं,उनको  अब
कृष्ण का जन्म स्थान दिखने लगा
भोग का रोग ही ऐसा होता हैं
विषकन्यायों का मौन ही जीवनदान हैं
*डॉ अरविन्द प्रेमचंद जैन,संरक्षक शाकाहार परिषद् A2/104  पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल 9425006753



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