-सोनल पंजवानी, इंदौर
साहिल से लौट के आती
ये बेबाक हवाएँ
जब कभी हामला होती हैं
तेरी यादों का अक्स लेकर,
ये मेरी जिस्त पर छा जाती हैं।
ये बोझिल हवाएँ
अपने साथ उड़ा ले जाती हैं
अपने भीतर उठती हुई टीस को।
ये साहिल से लौटती हवाएँ
कभी मुझे मेरी साँसों सी लगती हैं।
-सोनल पंजवानी, इंदौर
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