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राही के तीर (घनाक्षरी छन्द)


*राजेश जैन राही*


हँसना तो चाहूँ पर, किस बात पे हँसू मैं,
हँसी मुझे अपने ही, हाल पर आती है।


कायदे कानून मुझे, ज्ञात सारे जिंदगी के,
खाली खाली जेब, मेरी मुझको चिढ़ाती है।


घर में है अध्यादेश, राह में अधिनियम,
लाल आँख बॉस वाली, मुझको डराती है।


प्रेमिका की चाल पर, जान नहीं जाती अब,
सब्जियों के भाव सुन, जान चली जाती है।


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मेरे अंगने में काम, इनका बताओ क्या है,
पूछ न परख कुछ, 'इमरान' जाली है।


गूँज रहा नाम मेरे, भारत का दूर तक,
चाँद के भी गाल पर, आई देखो लाली है।


स्वच्छता में आपका भी, योगदान देश को हो,
एक हाथ से भी कहो, बजती क्या ताली है।


अच्छे दिन आ सकेंगे, अपनी अच्छाई से ही,
आप सब अच्छे और, अच्छा अभी माली है।


*राजेश जैन राही, रायपुर, मो.9425286241


 


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