*डॉ सरला सिंह
तेरे ओंठों पे सजी रहती है,
कभी नीचे नहीं उतरती है।
बड़ी हठीली और छबीली ,
दिन-रात संग लगी रहती है।
जाने कैसा पुण्य किया इसने,
दिल से ये ना कभी हटती है।
कोई चिढ़ता है ,चिढ़ता रहे,
ये तो उसपर भी हंसती है।
हम कहते रहे कान्हा कान्हा,
ये तेरे संग- संग चलती है।
दो बोल को हम हैं तरस गये,
एक ये है होंठों पर रहती है।
फिर से इक बार चले आओ,
ये बांसुरी भी यही कहती है।
नैना इसकेे भी भीगे हैं देखो,
तेरा ही आस लिए रहती है।।
*डॉ सरला सिंह,180ए पाकेट ए-3 मयूर विहार फेस 3,दिल्ली-96,मो.9650407240
0 टिप्पणियाँ