*सोनिया सराफ*
रहती है खोट नियत में
दशानन की
फिर क्यो जानकी ही
लक्ष्मण रेखा के भीतर रखी जाती है ?
कन्या की है अगर लक्ष्मी से तुलना
तो वर्ष भर मे सिर्फ नौ दिन ही क्यूँ पूजी जाती है ?
जिसकी सुंदरता है मेरे देश की शान
फिर क्यूँ दामिनीयाँ हवस की लपेट मे आ जाती है ?
चिर काल से प्रति दिन सीता ही
अग्नि परिक्षा को कर स्वीकार,
धरा मे समा जाती है ।
नारी सुन
है प्रारंभ जो तू तो है ,अंत भी तू,
है कारण जो तू तो है ,निदान भी तू !
कर चिंतन कर शूरुआत ,
समझा बेटों को ,
नारी ही उत्पत्ति का बीज तो क्यूँ ना इसका सम्मान करे ,
है कृष्ण तू ही ,है कंस तू ही
जो ना बन सके राम सा पुरूषोत्तम
तो ना कर रावण सा कृत्य कभी !
दिला शपथ ,वह भी तुझ सा ही जीव
आ हम सब अब से यह स्वीकार करे!
फिर देख तू मेरे देश मे घर -घर बेटी
लक्ष्मी सी हर पल पूजी जायेगी,
तब ना पैदा होगा कोई दशानन,
और ना कोई लक्ष्मण रेखा सीता के लिए खिंची जायेगी !
*सोनिया सराफ*
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