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मेरे साथ (कविता)


-संजय वर्मा "दृष्टि "


जब यौवन पर आती 
नदियाँ 
मछलियाँ तब नदी के प्रवाह के 
विपरीत प्रवाह पर तैरती 
छोटी -छोटी धाराओं पर 
चढ़ जाती सीधे 

नदियाँ मिलना चाहती 
समुद्र से 
मछलियाँ देखना चाहती 
नदियों का उद्गम 

सागर से मिलती जब नदियाँ 
लाती साथ में कूड़ा करकट 
सागर को बताने 
ऐसे हो जाती है दूषित 
प्रदूषण सेे
जल को स्वच्छ बनाने के लिए 
बहकर /कहकर जाती नदियाँ 
मछलियों से 
बस तुम ही तो हो 
मुझे स्वच्छ बनाने वाली और 
तुम्हारे सहारे ही 
मै  रहूंगी भी कुछ समय जीवित 

तब तक 
जब तक तुम रहोगी मेरे जल में 
मेरे साथ 

-संजय वर्मा "दृष्टि ", मनावर

 

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